भाई-बहन के अटूट और पवित्र प्यार का त्योहार रक्षाबंधन सदियों से हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा रहा है। ये त्योहार सिर्फ भाई-बहन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका आध्यात्मिक महत्व भी है, जिसे समझना ज़रूरी है।
प्यार का प्रतीक
रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, माथे पर तिलक लगाकर और मुंह मीठा करके इस त्योहार को मनाती हैं। बदले में भाई बहन की रक्षा का वचन देते हैं और साथ ही उन्हें कोई उपहार देते हैं। ये तो रक्षाबंधन का सामान्य रूप है, जिसे हम सब बचपन से ही देखते आ रहे हैं, लेकिन यह त्योहार सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है।
व्यापक अर्थ
दरअसल, रक्षाबंधन का असली उद्देश्य तभी पूरा होगा, जब समाज के पुरुष दूसरी महिलाओं को भी अपनी बहन समझकर उनकी रक्षा करें और उनपर किसी तरह की बुरी नज़र न डालें। यह पर्व सिर्फ भाई-बहन के बीच प्यार नहीं, बल्कि इंसानियत से प्रेम का संदेश देता है। यह त्योहार बताता है कि हम सब एक ही ईश्वर की संतान हैं, तो नफरत और गुस्से की हमारी ज़िंदगी में कोई जगह नहीं होनी चाहिये।
माथे पर तिलक लगाना आत्म चेतना और विजय का प्रतीक है। क्रोध, नफरत, लालच और मोह पर विजय पाने का प्रतीक है। राखी बांधना विचार और कर्मों की पवित्रता के बंधन को दर्शाता है। यानी भाई की कलाई पर आप सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि शुद्ध और पवित्र विचार बांधती हैं।
महिलाओं का सम्मान
आज के समय में जब महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ते जा रहे हैं, रक्षाबंधन के सही मायने लोगों को समझाना ज़रूरी है। यह त्योहार हर महिला को सम्मान की नज़र से देखना सिखाता है। जब दुनिया का हर पुरुष महिला को सम्मानजनक नज़रों से देखेगा, तो उसे रात के अंधेरे में भी बाहर निकलने से डर नहीं लगेगा।
खास है इस बार का रक्षाबंधन
इस साल रक्षाबंधन 15 अगस्त को है। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं है, यानी की बहनों को राखी बांधने के लिए शुभ मुहुर्त का इंतज़ार नहीं करना होगा। वह सुबह से शाम तक कभी भी राखी बांध सकती है
मिलती है सोच सही करने की सीख
– रक्षाबंधन का त्योहार हर किसी से प्यार करना सिखाता है।
– हम एक ही ईश्वर की संतान हैं, इसलिये किसी से भेदभाव नहीं करना चाहिये।
– क्रोध, नफरत, मोह, लालच की भावनाओं पर विजय पाने की सीख।
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