आज हम आपको तमिलनाडु के त्रिचि में थरानल्लुर की अग्राहारम के ऐसे बच्चों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पास के सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं और शाम को घर वापस आकर देर रात तक खेलने में लगे रहते थे। इन बच्चों के माता-पिता मज़दूरी करते हैं और अक्सर देर शाम या रात तक ही घर वापस आ पाते हैं। माता-पिता बड़ी मुश्किलों से अपने बच्चों को स्कूल भेज पाते हैं, इसलिये शाम के ट्यूशन के बारे में सोचना भी नामुमकिन है। ऐसे में इन बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देने वाला कोई नहीं होता और बच्चों का पढ़ाई बहुत ज़्यादा प्रभावित होती है।
चाइल्ड लर्निंग सेंटर
इस बात की गहराई को समझते हुये कॉलेज के रिटायर्ड प्रिंसीपल एस शिवकुमार (61) ने बच्चों को शाम के समय पढ़ाई कराने का सोचा। इसी पहल को पूरा करने के लिये उन्होंने अलंगविलास एसएस मेमोरियल स्कूल, जहां ज़्यादातर बच्चे पढ़ते हैं, के प्रिंसीपल के साथ मिलकर एक ‘चाइल्ड लर्निंग सेंटर’ खोलने की बात की। स्कूल के प्रिंसीपल ने भी इसे मान लिया और फिर सेंटर बनाने की शुरूआत हो गई।
नई पहल की शुरूआत
उसी जगह के आसपास एक घर में इस सेंटर को बनाया जा रहा है। यहां बच्चों को पढ़ाई के रिविज़न के साथ-साथ मौरल वैल्यूज़ भी सिखाई जायेंगी। इस सेंटर में एक समय पर 30 बच्चों को पढ़ाया जा सकेगा। हालांकि इसके लिए कोई फीस नहीं होगी, लेकिन बिल्डिंग के मेंटेनेंस के लिये माता-पिता से कुछ मामूली रकम ली जायेगी। कुछ अभिभावकों ने सेंटर की देखरेख और साफ-सफाई के लिये खुद को वॉलंटियर भी कर दिया है।

अलंगविलास एसएस मेमोरियल स्कूल की प्रिंसीपल केपी उद्यारानी ने इस लर्निंग सेंटर को अकैडमिक सपोर्ट देने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि ज़्यादातर माता-पिता अपने बच्चों के साथ समय नहीं बिता पाते हैं, इसलिये बच्चे क्या पढ़ रहे हैं या क्या सीख रहे हैं, इस बात पर ध्यान नहीं दे पाते। इस लर्निंग सेंटर पर आये बच्चों को अपना सिलेबस रिवाइज़ करने में मदद मिलेगी और वो अच्छी बातें भी सीख सकेंगे।
समाज के लिये करें सही
– समाज से लेने के साथ-साथ देना भी सीखें।
– कुछ अच्छा काम करना हो, तो दूसरों से भी हाथ मिलायें।
– शिक्षकों की इज़्ज़त करें, उनमें मिट्टी को भी सोने में बदलने की क्षमता होती है।
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