टीनएज में खुद को रखें कॉन्फिडेंट

टीनएज में खुद को रखें कॉन्फिडेंट

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टीनएज जीवन ऐसा समय होता है, जब उनकी गिनती न तो बड़ों में होती है और न ही बच्चों में। अगर किसी से भी पूछा जाये कि आपके जीवन का सबसे अच्छा फेज़ कौन सा था, तो ज़्यादातर लोगों का जवाब ‘टीनएज’ होगा क्योंकि इसी उम्र में उन्होंने जीवन की मीठी यादों को जन्म दिया होगा। इस उम्र से ही नई चीज़ें करने का अनुभव महसूस करते हैं।

टीनएजर्स भी दो तरह के होते हैं, एक तो वे जो अपनी बातें बेबाकी से कह देते हैं और दूसरे वे जिनमें थोड़ी झिझक होती है और वह अपने मन की बात कह नहीं पाते। अगर आप दूसरी कैटेगरी में से हैं, तो हम आपको कुछ तरीके बतायेंगे, जिनकी मदद से आपके अंदर की शर्मीलेपन को कम कर पायेंगे।

अपनों के साथ सोशल बिहेवियर की प्रैक्टिस करें

अगर आप सोशल बिहेवियर जैसे, आंख मिलाकर बात करना, कॉन्फिडेंट बॉडी लैंग्वेज होना, खुद का परिचय देना, दूसरों से सवाल पूछना आदि में सहज महसूस करेंगे, तो आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा। नये लोगों के साथ कोशिश करने से पहले आप अपने करीबी दोस्तों के साथ सोशल बिहेवियर की प्रैक्टिस करें।

बात करने के तरीके पर काम करें

कुछ लोगों में बात शुरु करने की कला होती है, लेकिन अगर आप उनमें से नहीं हैं, तो चिंता की कोई बात नहीं है। आप किसी से बातचीत शुरु करने के लिये टॉपिक्स ढ़ूंढें और प्रैक्टिस करें।

टीनएज में खुद को रखें कॉन्फिडेंट
लोगों से मिलें-जुले | इमेज : फाइल इमेज

ज़्यादा से ज़्यादा रिहर्सल करें

अगर आप हिचकिचाहट के चलते किसी से आमने-सामने या फिर फोन पर बातचीत को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं, तो बात करने से पहले एक कागज़ पर वह सब लिख लें, जिस बारे में आपको बात करनी है और उसे शीशे के सामने रिहर्सल करें। हो सकता है कि असल में बातचीत वैसी न हो, जैसी आपने सोची थी, लेकिन याद रखें कि कोई भी परफेक्ट नहीं होता। आज कोशिश की है, उसके लिये खुद को तारीफ करें और आगे बेहतर होगा, इस बात पर यकीन करें।

लोगों से मिलें

 अगर आप बहुत ज़्यादा शर्माते है या लोगों से घुलने-मिलने में समय लेते हैं, तो कोशिश करें कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों से मिलें। इसके लिये आप कोई ऐक्टिविटी क्लास भी शुरु कर सकते हैं। शुरु में आपको थोड़ी हिचकिचाहट महसूस हो सकती है, लेकिन बाद में आपको इसकी आदत पड़ जायेगी।

लोगों की मदद ‘करें सही’

– अगर कोई व्यक्ति बात करने में शर्माता है, तो उसका मज़ाक न उड़ायें।

– ऐसे लोगों की घुलने-मिलने में मदद करें।

– यह एक तरह का बिहेवियर है, प्रॉब्लम नहीं, आप चाहें तो इसे कॉन्फिडेंस में बदल सकते हैं।

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