कुछ लोगों के मन के अक्सर बुरे ख्याल आते हैं, जैसे उनके किसी प्रियजन को चोट लग जाना या उसकी जान चली जाना और वह कितनी भी कोशिश कर ले, इस ख्याल को मन से निकाल नहीं पाते। या फिर कुछ लोगों को कुछ बातों की सनक हो जाती है, जैसे कि बाथरूम में नंगे पैर न जा पाना या किसी धूल भरी जगह पर हाथ छू जाये, तो उसे कई बार धोना आदि। ऐसे लोगों को हो सकता है कि ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिस्ऑर्डर यानि ओसीडी हो।
क्या है ओसीडी?
यह एक ऐसा मानसिक बीमारी है, जिसमें एक व्यक्ति को अनचाहे और परेशान कर देने वाले विचार, चित्र, जुनून शामिल होते हैं, जो किसी व्यक्ति के लिये बहुत ज़्यादा चिंता और परेशानी का कारण बन जाता है। जब वह व्यक्ति इन्हें कम करने के लिये कोशिश करता है, तो दोहराव में उलझ जाता है।
क्या होते हैं इसके लक्षण?
इस परेशानी से जूझ रहे लोगों को पता होता है कि उनका कोई विचार या आदत है, जिसका कोई मतलब नहीं है, लेकिन फिर भी वो उससे पीछा नहीं छुड़ा पाते। अगर कोशिश करके वह एक बार खुद पर कंट्रोल कर भी लें, तो कुछ समय बाद उन्हें फिर से करने का मन करने लगता है।

ऑब्सेसिव विचारों में ये आता है
– गंदगी का डर
– खुद के या दूसरों के घायल हो जाने का डर
– किसी भी चीज़ को एक पैटर्न में रखने की बेहद चाह
– ऐसी धारणा कि कुछ नंबर या रंग ही अच्छे या बुरे होते हैं।
– अपने बॉडी पार्ट्स पर लगातार ध्यान रखना जैसे पलके झपकना, सांस लेना आदि।
– अपने पार्टनर पर बेवजह शक करना।
कंपल्सिव थॉट्स के तहत यह सब भी आता हैः
– एक साथ कई बार हाथ धोना।
– एक काम को कई बार करना।
– घर के लॉक, लाइट्स और दूसरी चीज़ों को बार बार चेक करना।
– हर चीज़ को गिनने की आदत, जैसे सीढ़ियों या बोतलों को।
– किसी से हाथ मिलाते समय हाथ गंदे हो जाने का डर।
क्यों होता है ओसीडी?
– माता-पिता या भाई-बहन को हो, तो हो सकता है।
– डिप्रेशन या एंजाइटी
– किसी ट्रॉमा से गुज़राना
मेडिकल हेल्प आ सकती है काम
अगर किसी को इस तरह की समस्या है, तो डॉक्टर से मिलना चाहिये। डॉक्टर चेकअप के बाद कोर्स ऑफ एक्शन तैयार करेगे, जिसमें दवाइयां, टॉक थेरेपी और साइकोथेरेपी शामिल है। हालांकि ओसीडी को ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन मेडिकल हेल्प से इसे कंट्रोल किया जा सकता है।
ओसीडी से जूझ रहे व्यक्ति की मदद के लिए ‘कदम बढ़ाएं सही’।
– अगर आपको लगे कि आपके आसपास कोई ऐसा व्यक्ति है, जिसे शायद ओसीडी हो, तो उसका मज़ाक न उड़ाये।
– हो सके तो उससे बात करने की कोशिश करें, उसके डर और चिंता का कारण समझने की कोशिश करें और उसके प्रति विनम्रता दिखाये।
– उसे ओसीडी के बारे में बताये और कोशिश करें कि वह अनुभवी डॉक्टर से मिले।
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