यूं तो पूरे देश में गणपति की धूम रहती है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि गणेश पूजा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी होती है। हमारे गणपति बप्पा ग्लोबल देवता है।
सदियों से हो रही पूजा
सिर्फ भारत ही नहीं विदेशों में भी गणेश जी की अराधना कुछ सालों नहीं, बल्कि सदियों से हो रही है।
नेपाल
माना जाता है कि पड़ोसी मुल्क नेपाल में सम्राट अशोक की बेटी चारूमित्रा ने सबसे पहले गणेश मंदिर बनवाया था। नेपाल में गणेश जी को सिद्धिदाता और संकटमोचन माना जाता है।
चीन
चीन में भी गणेश जी की पूजा सदियों से होती आ रही है और इसका सबूत है वहां पुराने हिंदू मंदिरों में चारों दिशाओं के दरवाज़े पर विराजमान गणेश जी की मूर्ति।
तिब्बत
भारत और नेपाल की तरह ही तिब्बत में भी गणपति को संकटमोचक माना जाता है। यहां भक्तों का मानना है कि गणेश जी सभी बुरी दुष्टात्माओं को उनसे दूर रखेंगे।
जापान
जापान में भी गणपति बप्पा की अराधना होती है, लेकिन अलग नाम से। वहां उन्हें ‘कांगितेन’ कहा जाता हैं, जो जापानी बौद्ध धर्म से जुड़ा हुआ है। कांगितेन के कई रूप है, लेकिन इनके दो शरीर वाला रूप ही सबसे ज़्यादा लोकप्रिय है।
श्रीलंका
यहां की बहुसंख्य तमिल आबादी वाले इलाकों में गणेश जी को भगवान पिल्लयार के रूप में पूजा जाता है। इनकी मूर्ति काले पत्थरों से बनी होती है। श्रीलंका में गणेश जी के 14 पुराने मंदिर हैं। यही नहीं यहां के कई मशहूर बौद्ध मंदिरों में भगवान गणेश की प्रतिमाएं रखी हैं।
इंडोनेशिया
शायद आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया में भी गणेश जी की पूजा होती है। यहां हिंदू धर्म का असर सदियों से हैं। इंडोनेशिया की एक खास बात यह भी है कि यहां के 20 हजार के नोट पर गणेश जी की तस्वीर छपी है।
थाईलैंड
जापान की तरह ही थाईलैंड में भी गणपति को अलग नाम से जाना जाता हैं। यहां उन्हें ‘फ्ररा फिकानेत’ कहा जाता है। थाईलैंड में गणेश जी को सभी बाधाओं को हरने और सफलता दिलाने वाला देवता माना जाता है। कोई भी नया बिज़नेस शुरू करने पर और शादी के मौके पर इनकी पूजा ज़रूर की जाती है।
ऐसा माना जाता है कि विदेशों में गणेश जी की शुरुआत व्यापारियों ने की थी। जो व्यापार के सिलसिले में दूसरे देश गए थे। अब तो आपको अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन सब जगह गणेश जी के मंदिर दिख जाएंगे।
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