“हैं धर्मों का सारा ज्ञान जहां, अपनी संस्कृति का भी है सम्मान जहां।
सात सुरों की जहां अद्भुत नक्काशी है, वो हमारी प्यारी काशी है।”
काशी कहें या बनारस या फिर अब वाराणसी, इसके बारे में लिखी ये दो पंक्तियां, पूरे शहर का वर्णन करने के लिये काफी है। धर्म, संस्कृति, कला, आध्यात्म और हज़ारों साल पुरानी परंपराओं को सहेजे यह शहर देश की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ा रहा है।
सबसे प्राचीन शहर
प्रसिद्ध अमेरीकी लेखक मार्क ट्वेन ने लिखा है, “बनारस इतिहास से भी पुरातन है, परंपराओं से पुराना है, किंवदंतियों (लीजेन्ड्स) से भी प्राचीन है और जब इन सबको एकत्र कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है। ज्ञान का शहर वाराणसी 3000 साल पुराना है, इसे दुनिया का सबसे पुराना शहर है। अपनी समृद्ध पंरपरा और इतिहास के कारण यह देश-विदेश के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है।
मंदिरों और घाटों की नगरी
गंगा नदी के किनारे बसे इस शहर में बहुत सारे मंदिर है। यहां का काशी विश्वनाथ मंदिर विश्वप्रसिद्ध है। शिव को समर्पित यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। शाम के समय आरती और घंटियों की मधुर ध्वनि एक दिव्य अनुभूति कराती है। यहां आकर आपको मानसिक शांति मिलेगी। मणिकर्णिका घाट, अस्सी घाट, दशाश्वमेघ घाट आदि यहां के मशहूर घाट हैं, जहां साधु संतों से लेकर पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है।

मोक्ष प्राप्ति
वाराणसी के घाटों पर लोग अपने प्रियजनों की अस्थियां गंगा में प्रवाहित करने आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिन लोगों की मृत्यु काशी में होती है, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि गंगा नदी में डुबकी लगाने पर पाप धुल जाते हैं। यहां सुबह और शाम के समय गंगा में डुबकी लगाने का अनुभव बहुत खास होता है।
पॉज़िटिविटी से भरा शहर
आमतौर पर लोग शमशान घाट घूमने कभी नहीं जाते, लेकिन वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर पर्यटक एक साथ कई शवों का अंतिम संस्कार देखने आते हैं। यानी यह शहर मृत्यु के शाश्वत सच से रूबरू करवाता है। यहां आने के बाद शायद आप भी मौत से डरना छोड़ देंगे और धार्मिक, सांस्कृतिक रंग में रंगा यह शहर आपको पॉज़िटिव विचारों से भर देगा। धर्म, संस्कृति और कला के साथ ही यह ज्ञान का भी केंद्र है। यहां का वाराणसी हिंदू विश्वविद्यालय अपनी उच्चस्तरीय शिक्षा के लिए मशहूर है, इसे पूर्व का ऑक्सफोर्ड भी कहा जाता है।
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