हम जिन लोगों के साथ घर या ऑफिस में रहते हैं, उनकी भावनाओं को समझना ज़रूरी है ताकि उसी के मुताबिक उनके साथ व्यवहार किया जा सके। जैसे आपको यदि समझ आ गया कि सामने वाला दुखी है, तो उसके साथ हमदर्दी जतायेंगे, लेकिन इसके लिए सबसे पहले वो समझ विकसित करनी ज़रूरी है जिससे आप सामने वाली की भावनाओं को समझ सकें।
किसी की भावनाओं को समझने के लिये ऑब्ज़र्वेशन के साथ ही ध्यान से सुनना ज़रूरी है।
बारीकी से अवलोकन (ऑब्ज़र्व) करें
जब आप किसी को गिरते हुए देखते हैं, तो अपने आप मुंह से निकल जाता है, ‘ओह’ क्योंकि आपको लगता है कि ऐसा आपके साथ हुआ है, यह प्रतिक्रिया स्वाभाविक है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसा इसलिये होता है क्योंकि “मिरर न्यूरॉन्स” नाम की दिमाग की कोशिकाएं हमारे खुद के कुछ करने या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उसे करता देखने पर समान रूप से सक्रिय होती है।
अपनी ऑब्ज़र्वेशन स्किल को विकसित करने के लिये आप ये तरीके आज़मा सकते हैं।
– लोगों की फीलिंग्स और बॉडी लैंग्वेज पर नज़र रखें। अगली बार जब भी आप बाहर जायें, तो अपने आसपास के लोगों के चेहरे के एक्सप्रेशन और बॉडी लैंग्वेज और वो जो कर रहे हैं, उसे देखकर उनकी स्थिति का अंदाज़ा लगाने की कोशिश करें। जैसे- सामने बैठे शख्स ने आंखें क्यों बंद की है, वह कुछ सोच रहा है, थका है या परेशान है?

– ऐसी किताबें पढ़ें, जिनमें मानवीय भावनाओं का सटीक चित्रण किया गया हो। सभी किरदार क्या महसूस करते हैं और कैसे प्रतिक्रिया देते हैं, इस पर ध्यान दें। उनकी भावनाओं के आधार पर यह समझने की कोशिश करें कि वह आगे क्या करने वाले हैं।
ध्यान से सुनें
– दूसरे जब कुछ कह रहे हैं, तो उसे ध्यान से सुनें। बोलने से ज़्यादा महत्वपूर्ण है सुनना, इसलिये सुने के स्किल को अपनायें।
– आपका दोस्त जब कोई अनुभव शेयर करें, तो उसे ध्यान से सुनें और समझने की कोशिश करें कि उस वक़्त उसे कैसा लगा होगा और बातचीत के बीच-बीच में उसे यह जताते रहें कि आप उसके अनुभवों को समझने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे कहें, ‘कितना मज़ा आया होगा तुम्हें जंगल ट्रिप पर’, ‘बहुत रोमांचक फील हुआ होगा।’
सहानुभूति दिखायें
सिर्फ भावनाओं को समझना ही काफी नहीं है, बल्कि समझने के बाद अपनों की मदद करें, उनसे सहानुभूति दिखाये।
– यदि आपका कोई दोस्त मुश्किल दौर से गुज़र रहा है, तो उससे पूछे कि आप उसकी क्या मदद कर सकते हैं। यदि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा है, तो खुद को उसकी जगह रखकर सोचें कि यदि आप उस परिस्थिति में होते, तो आपको क्या मदद चाहिए होती, फिर उसके हिसाब से जो समझ आये करें।
– अपने परिवार, दोस्तों और करीबी रिश्तेदारों को महसूस कराये कि आप उनकी केयर करते हैं। उनसे पूछें कि उन्हें क्या पसंद है या वह क्या करना चाहते हैं, जिसमें आप उनकी कुछ मदद करें।
सहानुभूति दिखाने के लिए की गई छोटी सी पहल से भी दूसरों के साथ आपके रिश्ते मज़बूत बनते हैं।
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