अहिंसा का मार्ग है आसान

अहिंसा का मार्ग है आसान

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जब कोई आपसे अहिंसा के बारे में बात करता है, तो सबसे पहले आपके मन में किसकी छवि आती है। ज़्यादातर लोग इस बात से सहमत होंगे कि, हमारे देश को अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी थे, जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए बड़े से बड़े और ताकतवर हिंसावादियों को हरा दिया था। हालांकि अहिंसा के मार्ग पर चल कर आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचने में थोड़ा सा वक्त लग सकता है, लेकिन सच मानिए तो ‘अहिंसा का मार्ग है आसान’।

अपने साथ-साथ दूसरों की इज़्ज़त करें

अगर आप दूसरों की इज़्ज़त करेंगे, तभी आप उन्हें बदलाव के लिए राज़ी कर सकेंगे। कभी भी किसी को नीचा दिखा कर बदला नहीं जा सकता। साथ ही याद रखें कि आपकी इजाज़त के बिना कोई आपको नीचा नहीं दिखा सकता। आपसी रिश्तों में अगर कोई चोट पहुंची हो, तो उन्हें भरकर ही आप बदलाव ला सकते है। इसे गुस्से और नफरत से कभी ठीक नहीं किया जा सकता।

अहिंसा का मार्ग है आसान
शांति का मार्ग अपनायें |इमेज : फाइल इमेज

अच्छे और रचनात्मक विकल्प शामिल करें

कथनी से बेहतर होती है करनी। अगर आपको कोई बदलाव लाना है, तो उससे लड़ने से बेहतर है एक ऐसा नया मॉडल बनाना, जिससे लोग खुद को ज़ुड़ा हुआ महसूस कर सकें। जब लोग नए मॉडल से जुड़ जायेंगे, तो पुराना खुद-ब-खुद विलुप्त हो जायेगा। इस बात का जितना हो सके पालन करें, जहां भी संभव हो, रचनात्मक बनें और जहां भी ज़रूरी हो, वहां अवरोधक बनें।

दूरदर्शी बनें

अहिंसा के परिणाम हमेशा पॉज़िटिव होते हैं, कभी-कभी तो जितना आपने सोचा हो, उससे कहीं ज़्यादा। हिंसा में कभी-कभी किसी के ऊपर अत्याचार करके आप उसे बदलने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन वो बदलाव अस्थाई होता है।  स्थाई रिज़ल्ट लाने के लिये आपको शांत स्वभाव अपनाना होगा। अक्सर आपका कंट्रोल आने वाले रिज़ल्ट पर नहीं होता, लेकिन उसके लिये क्या एक्शन लिए जायें, वह ज़रूर आपके हाथ में होता है। सही एक्शन से सही रिज़ल्ट आता है।

अहिंसा का मार्ग है आसान
शांति का मार्ग अपनायें |इमेज : फाइल इमेज

लड़ाई जीतने से ज़रूरी है, स्थिति को जीतना

हो सकता है कि आपको लगे कि किसी एक व्यक्ति की जीत के लिये दूसरे की हार ज़रूरी है। लेकिन अगर आप रिलेशनशिप्स की बात करें, तो सामने वाले पर जीत हासिल करने से बेहतर है कि अच्छा और पॉज़िटिव माहौल बनायें।  

जीवन में अहिंसा अपनाने के लिये ‘कदम उठाएं सही’

– इज़्ज़त देकर ला सकते हैं बदलाव।

– हिंसा काम करवा सकती है, लेकिन हालात और रिश्तों को सुधार नहीं सकती।

– रिश्तों में किसी के ऊपर जीत हासिल होने पर शोर या जश्न न मनाएं। रिश्ते खामोशी में उभरते हैं।

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