महान वैज्ञानिक और देश के राष्ट्रपति रह चुके डॉ. अब्दुल कलाम का जीवन हमेशा दूसरों के लिए प्रेरणादायी रहा है। इतने ऊंचे पद पर पहुंचने के बाद भी कलाम ने सादगी और दया का दामन थामे रखा। युवा पीढ़ी को प्रेरणा देने वाले कलाम के जीवन के कई ऐसे वाक्ये हैं, जो उनकी दयालुता और करुणा को दर्शाते हैं। चलिये, आज आपको उनकी ज़िंदगी से जुड़े दो ऐसे ही किस्से बताते हैं, जिसे जानने के बाद आपके मन में भी शायद हर किसी के लिए दया भाव आयेगा।
पक्षियों की फिक्र
पहला किस्सा डीआरडीओ से जुड़ा है। बात 1982 की है, जब डॉ. अब्दुल कलाम भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान (डीआरडीओ) के डायरेक्टर थे। उस समय डीआरडीओ की सुरक्षा को और मज़बूत करने की बात उठी। तो प्रस्ताव दिया गया कि चारदीवारी पर कांच के टुकड़े लगा दिये जाये, लेकिन कलाम ने इसकी मंजूरी नहीं दी। उनका कहना था कि दीवारों पर कांच के टुकड़े लगाने पर पक्षी नहीं बैठ पाएंगे और वो घायल हो सकते हैं, इसलिये यह प्रस्ताव पास नहीं हुआ। डॉ. कलाम का फैसला पक्षियों के प्रति उनकी संवेदनशीलता और दया भाव को दर्शाता है। इंसानों के साथ ही वह बेज़ुबानों से भी प्यार करते थे।
बड़ी कुर्सी पर बैठने से किया मना
डॉ. अब्दुल कलाम हर किसी को समान समझते थे। इतने ऊंचे पद पर पहुंचने के बाद भी उनमें ज़रा भी गुरूर नहीं था। आईआईटी वाराणसी में दीक्षांत समारोह के मौके पर डॉ. अब्दुल कलाम चीफ गेस्ट बने थे। कार्यक्रम में मंच पर पांच कुर्सियां लगाई गई थी, जिसमें से एक कुर्सी बाकी से बड़ी थी । इस कुर्सी पर डॉ. कलाम को बैठना था। लेकिन जब वह आये, तो उन्होंने उस कुर्सी पर बैठने से मना कर दिया, क्योंकि वह बाकियों के बराबर नहीं थी। डॉ. कलाम की इस बात पर हर कोई हैरान हो गया और जब सभी कुर्सियां एक साइज़ की लगाई गई तभी वह बैठे। यानी वह खुद को दूसरों से बड़ा नहीं समझते थे। उनकी नज़र में हर इंसान समान था।
डॉ. कलाम से सीखे जीवन जीने का सही तरीका
– हर किसी के प्रति दया भाव रखें।
– सबसे प्रेम करें।
– किसी को खुद से छोटा न समझें।
– सबका सम्मान करें, चाहे वह कोई भी काम करता हो।
इमेज : रियलभारत
और भी पढ़िये : अब ऑफिस में नहीं महसूस होगा अकेलापन
अब आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर भी जुड़िये।