परफेक्ट नहीं अच्छा पैरेंट्स बनना है ज़रूरी

परफेक्ट नहीं अच्छा पैरेंट्स बनना है ज़रूरी

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हमेशा ये याद रखिये कि कोई भी पैरेंट परफेक्ट नहीं होता, वह भी नहीं जिन्होंने पैरेंटिंग पर महान किताबें लिखी हैं। एक पैरेंट होने के नाते आपका लक्ष्य खुद को और बेहतर इंसान बनाना है ताकि आपका बच्चा भी अच्छा इंसान बन सकें। एक परफेक्ट पैरेंट पैरेंटिंग किताब के अनुसार ही सब कुछ करता है, जबकि एक अच्छा पैरेंट अपने बच्चे को खुशनुमा बचपन देकर उसके साथ खूबसूरत यादें बनाते हैं।

अब आप सोच रहे होंगे कि अच्छा पैरेंट कौन होता है वह जो बच्चे को खास तरीके से व्यवहार करने के लिए कहता है या वह जो मजाक-मस्ती भरे अंदाज़ में बच्चों को नैतिकता और संस्कारों को पाठ पढ़ाते हैं? जवाब शायद आपको मिल गया होगा। तो अच्छा पैरेंट बनने के लिए आप कैसे मज़ाक-मस्ती में बच्चों को संस्कारी बना सकते हैं जानिये आगे-

फन बहुत ज़रूरी है

आपका बच्चा हमेशा मज़ा करना चाहता है। इसमें आपकी बहुत एनर्जी जाती है, लेकिन क्या हमारे जीवन का एकमात्र उद्देश्य खुश रहना नहीं है? हम इसे मेडिटेशन, संगीत और दूसरी चीज़ों में तलाशते हैं। अपने बच्चे को यही खुशी दें। बच्चे को बताये और यह कर के दिखाएं कि किसी भी हालात में कैसे खुश रहा जाता है। आप यदि घर पर हैं तो कटोरी और चम्मच लेकर ड्रम की तरह बजाएं, गार्डन में हैं तो घास पर लेट जाएं और मस्ती करें।

परफेक्ट नहीं अच्छा पैरेंट्स बनना है ज़रूरी
परफेक्ट नहीं अच्छे पैरेंट्स बनिये | इमेज : फाइल इमेज

जानें कब रुकना है

बच्चों के लिये अनुशासन भी बहुत ज़रूरी है, लेकिन यह सही तरीके से सिखाना चाहिये, जबरन नहीं। बच्चे की बात सुनें और उस पर विश्वास करें। यदि उसे भूख नहीं लगी है, तो जबरदस्ती खाना न खिलाएं, क्योंकि यह खाने का समय है। यदि वे कूदना चाहते हैं, तो उन्हें कूदने दें। उन्हें तभी रोके, जब लगे कि वह खुद को या दूसरों को चोट पहुंचा सकते हैं। रूटीन शेड्यूल की बजाय अपने अंदर की आवाज़ पर विश्वास करें।

बिना शर्त के प्यार

यह जानते हुये भी कि बच्चों की दूसरों से तुलना करना गलत है। फिर भी हम खेल के मैदान और स्कूल में उसकी तुलना दूसरे बच्चों से करने लगते हैं, इससे आगे चलकर बच्चा डिमोटिवेट होता है। बच्चे को गलतियां करने दें, सीखने दें, उन्हें लड़खड़ाने दें और अपने अनुभव से सीखने दें।

परफेक्ट नहीं अच्छा पैरेंट्स बनना है ज़रूरी
परफेक्ट नहीं अच्छे पैरेंट्स बनिये | इमेज : फाइल इमेज

पॉज़िटिव चीज़ों पर फोकस करें

यह किसी ने नहीं कहा कि परवरिश आसान काम है। इसमें बहुत धैर्य और विश्वास की ज़रूरत होती है। बच्चे के गलत और नेगेटिव व्यवहार को नज़रअंदाज़ कतई न करें, लेकिन उन्हें मारे या डांटे नहीं, बल्कि उन्हें बार-बार बताते रहें कि उन्हें कैसा व्यवहार करना चाहिये। इससे जुड़ी किताबें पढ़कर सुनायें भले ही वह इसे समझ नहीं पाए। बार-बार अच्छे व्यवहार के बारे में बताने पर बच्चे पर इसका पॉज़िटिव असर होगा।

बच्चे के साथ समय बितायें

बच्चे के लिये आप ही उसकी पूरी दुनिया हैं। इसलिये उनके साथ मस्ती करें, गले लगाकर और प्यार करके प्यार जताएं। बच्चे के साथ सी-सॉ और स्लाइड पर जाएं, उनके साथ खेलें। इससे पैरेंट्स और बच्चों की बॉन्डिंग मज़बूत बनती है। इससे आगे चलकर बच्चा आपसे सारी बातें शेयर करेगा और सलाह मांगने भी आपके पास आएगा।

याद रखिए पैरेंट्स बच्चों के लिए ज़रूरी सपोर्ट सिस्टम है जो बच्चों को चाहिये। इसलिए बेहतर हैं कि आप अच्छे बनें।

(दिल्ली की रहने वाली अनन्या वर्किंग मदर हैं। यहां बताए गए तरीकों का परिक्षण उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर अपने 5 साल के बेटे के साथ किया है।)

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