किसी बात पर आपका अपने कलीग से झगड़ा हो गया और अब आपके बीच बातचीत बंद हो गई है। वैसे काम के दौरान मनमुटाव कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन यदि समय रहते इस मनमुटाव को दूर न किया जाए तो काम के साथ ही दोनों के रिश्ते पर गहरा असर पड़ता है। बहसबाज़ी या झगड़े के बाद बातचीत शुरू करना दोनों के लिए ज़रूरी है, पर्सनली और प्रोफेशनली दोनों लेवल पर।
शांत दिमाग से सोचे
याद रखिए गुस्से में इंसान हमेशा गलत निर्णय ले लेता है, इसलिए बहस या झगड़े के बाद शांत हो जाए। कुछ ऐसा करें जिससे आपका गुस्सा कम हो जाए जैसे सैर पर निकल जाएं, किसी शांत कोने में मेडिटेशन करें या कुछ भी ऐसा जिससे आपका दिमाग थोड़ा शांत हो जाए।
जितना जल्दी हो इसे सुलझा लें
यदि आपको लगता है कि समय बीतने के साथ मनमुटाव अपने आप खत्म हो जाएगा, तो ऐसा नहीं है। यदि आप सिर्फ प्रोफशनल काम तक ही सीमित रहते हैं और अपने बीच के झगड़े को सुलझाने की कोई कोशिश नहीं करते हैं तो हालात बदतर हो सकते हैं। तो खुद को शांत करने के बाद अगला कदम होना चाहिए झगड़ा सुलझाने की दिशा में काम करना।
बात करें और सुनें
जिससे आपका झगड़ा हुआ है उसे बात करने के लिए बुलाएं और अपनी फीलिंग शेयर करें। जब आप गुस्से में होते हैं तो कई चीज़ों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, इसलिए बेहतर है कि गुस्सा शांत होने के बाद ही सामने वाले से बात करें और जब वह कुछ कहे तो उसकी बातों को काटे नहीं, बात सुनें। वह जो कहना चाह रहा है उसे अपनी बात खत्म करने दें। हो सकता है उसने आपको गलत समझा हो, इसलिए बात करने और सुनने से मसला सुलझ जाता है।
ज़रूरी हो तो माफी मांग ले
कलीग को अपनी बात रखने देना ज़रूरी है, लेकिन आपको भी अपना पक्ष साफ तौर पर रखना चाहिए। याद रखिए, आप मसला सुलझाने आए हैं बीती बातों को दोहराने नहीं। हो सकता है आपके कलीग की बात सही हो और आपने अनजाने में उसका दिल दुखा दिया हो तो माफी मांगने से हिचकिचाए नहीं।
बीच का रास्ता
झगड़े के बाद जब आप दोनों इसे सुलझाने के लिए जुटे तो समस्या को हल करने का तरीका सुझाएं और सामने वाले से भी हल पूछें। यदि आप दोनों एक तरीके पर एकमत नहीं है तो बीच का रास्ता निकालें। आप दोनों को एक-दूसरे की कुछ बातें मानने होंगी। हो सकता है दोनों अपनी जगह पर सही हों, लेकिन आपको यदि आगे बढ़ना है और साथ काम करना है तो समझौता करना ही होगा।
मध्यस्थ को लाएं
यदि आप दोनों मसले को नहीं सुलझा पा रहे हैं, तो किसी तीसरे की मदद ले सकते हैं जैसे कंपनी का कोई सीनियर या एचआर। इससे पहले की झगड़ा बहुत आगे बढ़ जाए किसी की मदद से इसे सुलझा लेने में ही भलाई है। याद रखिए पुराने झगड़े को यदि सुलझाया न जाए, तो इसकी कसक दोनों के दिलों में रह जाती है और आगे चलकर काम पर असर होता है, इसलिए किसी तीसरे की मदद से यदि यह सुलझ रहा है तो हिचकिचाए नहीं।
हम सभी ऐसे हालात से गुजरते हैं जह हम कलीग की बात से सहमत नहीं होते या मनमुटाव हो जाता है। मगर इसे दिल में दबाए रखने की बजाय आगे बढ़ें और मनमुटाव दूर करके कलीग से दोबारा दोस्ती कर लें।
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