सौम्य संगीत कान और मन दोनों को सुकून देता है। तभी तो पिछले कुछ समय से म्यूज़िक थेरेपी बहुत लोकप्रिय हो गई है। यह थेरेपिस्ट के बीच बहुत आम हो गया है।
म्यूज़िक से तनाव कम होता है, यह आपको एक अलग ही दुनिया में ले जाती है। वाद्य यंत्रों और गायकों की मधुर आवाज़ लंबे समय तक हमारे कानों में रहती है और यह हमें बहुत अच्छा महसूस कराती है। संगीत हमें कैसे प्रभावित करता है और इसे थेरेपी के रूप में कैसे इस्तेमाल किया जाता है? आइए, जानते हैं।
मस्तिष्क होता है सक्रिय
- क्या आप जानते हैं कि संगीत एकमात्र संवेदी अनुभव (सेंसरी एक्सपीरियंस) है, जो आपके मस्तिष्क के सभी क्षेत्रों को एक ही समय में सक्रिय कर देता है।
- क्या आप जानते हैं कि थेरेपी के रूप में संगीत अरस्तू और प्लेटो के लेखन जितना ही पुराना है? हैं न यह दिलचस्प।
हालांकि, यह फॉर्मल प्रोफेशन बना दूसरे विश्व युद्ध के बाद। उस समय म्यूज़िशियन युद्ध में शारीरिक और मानसिक रूप से घायल हुए योद्धाओं के लिए संगीत बजाते थे। संगीत के माध्यम से उपचार में मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद डॉक्टर और नर्स अस्पताल में संगीतकार रखने के लिए प्रेरित हुए। उसके बाद से म्यूज़िक थेरेपी का इस्तेमाल कई बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है।

कैसे करती है मदद ?
इस थेरेपी में संगीत का उपयोग किसी व्यक्ति के इमोशनल, सोशल, सेंसरी, कॉग्निटिव, मोटर और कम्यूनिकेशन स्किल में सुधार के लिए किया जाता है। म्यूज़िक थेरेपी ‘एक्सप्रेसिव आर्ट थेरेपी’ का प्रकार है, जो इन स्किल को बेहतर बनाने के लिए संगीत का उपयोग करता है। अध्ययन के मुताबिक, संगीत हमारे मस्तिष्क को कई तरह से प्रभावित करती है, जिसके परिणामस्वरूप व्यवहार पर असर पड़ता है।
थेरेपी की खास तकनीक
इसमें एक्टिव और रिसेप्टिव तकनीक शामिल है। एक्टिव तकनीक में सिंगिंग, वाद्य यंत्र बजाना, गाना, कंपोसिंग और म्यूज़िक को बेहतर बनाना शामिल हैं। जबकि रिसेप्टिव तकनीक में सुनना और फिर प्रतिक्रिया देना शामिल हैं। यह थेरेपी समूह में या व्यक्तिगत रूप से की जा सकती है। एक प्रशिक्षित थेरेपिस्ट यह थेरेपी करता है। इसका इस्तेमाल न सिर्फ अस्पताल में, बल्कि स्कूल, धर्मशाला और सुधारात्मक सुविधाओं में भी किया जाता है।

थेरेपी के फायदे
संगीत मस्तिष्क के उन क्षत्रों को प्रभावित करता है, जिसमें सेंसेशनल, इमोशन, मूवमेंट और कॉग्निशन शामिल है। अपनी विविधता के कारण ही यह कई बीमारियों जैसे डिप्रेशन, हाइपरटेंशन और एंग्ज़ाइटी का उपचार करने में सहायक है। जो भी मूड से संबंधित समस्या, पर्सनेलिटी से जुड़ी समस्या या अनिंद्रा से पीड़ित है, इस थेरेपी का लाभ उठा सकता है। इसके अलावा यह सेल्फ-इस्टीम, सेल्फ-कॉन्सेप्ट, हालात का मुकाबला करने का कौशल, समूह बातचीत, मौखिक संवाद कौशल को बेहतर बनाने में मदद करता है
संगीत सचमुच मन को ताजा, खुश और कायकल्प कर देने वाला होता है, इसलिए इसे आत्मा का भोजन कहना गलत नहीं होगा।
भारत में म्यूज़िक थेरेपी
भारत में कई संस्थान हैं जहां म्यूज़िक थेरेपी का कोर्स पढ़ाया जाता है। उनमें से कुछ के बारे में हम बता रहे हैं जो म्यूज़िक थेरेपी में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और मास्टर डिग्री प्रदान करते हैं।
नाडा सेंटर फॉर म्यूज़िक थेरेपी- नई दिल्ली
चेन्नई स्कूल ऑफ म्यूज़िक थेरेपी
म्यूज़िक थेरेपी ट्रस्ट- नई दिल्ली
म्यूज़िक एजुकेशनल ट्रस्ट- मुंबई
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