नागालैंड में ज़्यादातर लोग वैसे तो पारंपरिक तरीकों का उपयोग करके पहाड़ी ढलानों पर सीढ़ीदार खेती ही करते हैं और यही बात बच्चों ने भी सीखी है। नागैलैंड में पिछले कुछ सालों में, विश्वेल में ‘के खेल गवर्नमेंट मिडिल स्कूल’ में खेती एक चलन रहा है। इस स्कूल के बच्चे जैविक खेती को अपना एक विषय मानकर जैविक खेती कर रहे हैं।
कैसे आई जैविक खेती करनी की सोच
एक दिन क्लास में बच्चों को जैविक विषय में खुद के भोजन को उगाने और इस धरती को बचाने की बारीकियों के बारे में सिखाया जा रहा था। इस विषय में बच्चों ने बहुत रूचि दिखाई , जिसके बाद टीचर्स ने खेतों में कौशल और ज्ञान को बढ़ाने के लिए बच्चों को जैविक खेती सिखाने का फैसला किया।
बच्चे सीखते हैं ऑर्गेनिक खेती
हेड टीचर केनीसेनू वित्सु ने बच्चों के साथ मिलकर सबसे पहले जैविक खेती के लिये स्कूल के परिसर में जगह ढ़ूंढी। उस जगह को साफ किया गया और भूमि को समतल किया। उन्होंने अपने घरों से जैविक कचरे के साथ हरी खाद बनाई और बेकार की जंगली झाड़ियों को हटा दिया गया। गंदगी को दूर रखने के लिए बांस की बाड़ लगाई गई। खेल कूद के बीच बच्चों ने स्थानीय जैविक बीज लगाए और उस पर पानी का छिड़काव किया। बच्चों को यह काम करने में काफी खुशी महसूस हुई।
बच्चों के जैविक खेती की बढ़ती उत्साह और उनके कड़ी मेहनत को देखते हुये, टीचर्स भी उन्हें आगे काम करने के लिए प्रेरित करते रहे। अब इस काम को क्लास पहली से आठवी के बच्चे मिलकर करते हैं। हर बच्चा अपने काम बड़े ही प्यार से करता है।
बच्चों को दिया टास्क
छात्रों का उत्साह बढ़ाने के लिए खेती की एक्टिविटी को तीन ग्रुप में बांट दिया गया। हर एक ग्रुप को अलग – अलक काम सौंपे गये। अपनी नियमित क्लास के बाद बच्चे अपने बाग में जाकर उनमें पानी डालना, निराई करना या हरी खाद डालने का काम करते हैं।
सब्ज़ियों में बीन्स, गोभी, कद्दू, स्क्वैश, अनार और नींबू शामिल किया गया है। मक्का और नागा दाल में मुख्य अनाज होते हैं, जबकि सरसों एकमात्र मसाला है, जो एक छोटी जगह में उगाया जाता है।
अपना मिड-डे मील
बच्चों द्वारा उगाई जा रही सब्ज़ियों का उपयोग स्कूल प्रशासन मिड डे मील में करते हैं और बाकी बची सब्जियां टीचर्स द्वारा बेची जाती हैं। इससे होने वाले मुनाफे का उपयोग बच्चों के लिए स्नैक्स खरीदने के लिए किया जाता है।
इस खेती को चलाने का काम बच्चे खुद करते हैं। स्कूल के दैनिक कार्यक्रम में से कुछ समय निकालकर वे जैविक खेती में योग्यता हासिल करते हैं। स्कूल के कई बच्चे घरों में भी इस पद्धति से सब्जियां उगा रहे हैं।
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