पिछले कुछ महीने बड़ों के साथ ही बच्चों के लिए भी बहुत चुनौतीपूर्ण रहे हैं और आगे भी रहने वाला है, क्योंकि स्थिति अभी सामान्य नहीं हुई हैं। घर में रहने के कारण न सिर्फ बच्चों की शारीरिक, बल्कि मानसिक सेहत पर भी असर पड़ता है। ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि आप उन्हें वर्तमान और आने वाली स्थितियों से निपटने के लिए मानसिक रूप से मज़बूत बनाएं और ऐसा उन्हें मानसिक रूप से स्वस्थ रखकर किया जा सकता है। इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
पहले अपनी मानसिक सेहत का ख्याल रखें
बच्चे अपने माता-पिता से ही सीखता है। तनावपूर्ण और मुश्किल हालात से आप किस तरह निपटते हैं या उस दौरान किस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं, बच्चे उसे बहुत ध्यान से नोटिस करते हैं और वही सीखते हैं। इसलिए बहुत ज़रूरी है कि खुद आप अपने आप को मानसिक रूप से मज़बूत बनाएं और तनावपूर्ण माहौल में भी बिना घबराए शांति से उसका सामना करें। जैसे कोविड-19 के कारण पूरी तरह से बदली जीवनशैली के लिए हालात को कोसने की बजाय बदलाव को मुस्कुराकर स्वीकार करें। इससे बच्चे की मानसिक रूप से खुद को तनाव से निपटने के लिए तैयार कर लेता है।
विश्वास है ज़रूरी
बच्चे की मानसिक सेहत के लिए पैरेंट्स के साथ उसका अटूट और विश्वसनीय रिश्ता होना बहुत ज़रूरी है। माता-पिता को अपने बच्चे की हर ज़रूरत और भावनाओं का पता होना चाहिए जैसे उसे कब भूख/प्यास लगती है, कब वह डरा हुआ और परेशान है। ज़रूरत के समय उसे अपना प्यार, विश्वास और सहयोग दें। हर माता-पिता अपने बच्चे को प्यार और परवाह करते हैं, लेकिन कभी-कभी इसे जताना भी ज़रूरी होता है। इससे वह अंदर से मज़बूत बनेगा।
स्वस्थ आदते डालें
महीनों से बंद स्कूल की वजह से बच्चों की दिनचर्या पूरी तरह से बदल चुकी है। कुछ बच्चे देर रात सोने और सुबह देर से उठने के आदि हो गए हैं। इसका असर सिर्फ उनके शरीर ही नहीं, मस्तिष्क पर भी होता है। इसलिए बच्चे में सुबह उठने से लेकर, कसरत करने और समय पर भोजन करने जैसी स्वस्थ आदतें डालना बहुत ज़रूरी है। साथ ही बच्चों को माइंडफुलनेस और आभार जताना भी सिखाएं, इससे उनका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
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बच्चों के साथ खेलें
माना कि आप पूरे दिन बहुत व्यस्त रहते हैं, लेकिन बच्चों के साथ खेलना भी बहुत ज़रूरी है, तो थोड़ा समय निकालकर उसके साथ उसका पसंदीदा कोई खेल खेलें। इससे न सिर्फ आपका रिश्ता मज़बूत होगा, बल्कि बच्चे में सुरक्षा और आपके करीब रहने की भावना और गहरी होगी जो उसकी मानसिक सेहत को दुरुस्त रखेगा।
सोने से पहले करें दिल की बात
बिस्तर पर जाने के बाद तुरंत तो न आपको नींद आती होगी और न ही बच्चे तो उन्हें कोई बेडटाइम स्टोरी सुनाएं और उनसे कुछ देर बात करें। उन्हें अपनी भावनाएं ज़ाहिर करने के लिए प्रोत्साहित करें ताकि आपको पता चल सके कि बच्चे के मन में क्या चल रहा है और यदि आपको थोड़ा भी एहसास हो कि वह किसी बात को लेकर तनाव में है तो उसे दूर करने की कोशिश करें।
मनोबल बढ़ाएं
कई महीनों से बच्चों की पढ़ाई क्लासरूम की बजाय ऑनलाइन हो रही है, जिसका असर उनके सीखने की क्षमता पर भी पड़ा है। हो सकता है जब कुछ महीनों बाद स्कूल खुले तो उन्हें परीक्षा में कम नंबर आए तो ऐसे में माता-पिता को बच्चों को डांटने की बजाय पढ़ाई में उनकी मदद करने की ज़रूरत है। डांटने या गुस्सा करने से वह अंदर ही अंदर डरने लगेगा और मानसिक रूप से बीमार हो सकता है।
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