कोरोना के कारण इंसान घरों में कैद हो गया है, इसके बावजूद छुआछूत की इस बीमारी का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। आंकड़ों पर गौर करें तो अभी तक दुनियाभर में 14 लाख से ज़्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है और 6 करोड़ से ज़्यादा लोग कोरोना की चपेट में हैं। लोग लॉकडाउन के साथ स्वच्छता और मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं, फिर भी ये आंकड़े थमने का नाम नहीं ले रहे।
कोरोना के कारण दुनियाभर में आर्थिक मंदी का दौर आ गया है। देशों की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई है और लोग बेहाल है, इसलिए कोरोना के इस सिलसिले को रोकना बहुत ज़रूरी है। इसी सोच के साथ कई महीनों से वैज्ञानिक दिन रात वैक्सीन बनाने के काम में जुटे हुए थे। दवाइयों के ट्रायल पर ट्रायल हो रहे थे और अब साल के अंत में वैक्सीन बनने की राहत भरी खबर मिल गई।
कई कंपनियों ने वैक्सीन निकालने का दावा किया है, तो आइये जानते हैं कौन सा टीका कितना कारगर है।
एस्ट्राजेनेका
ये वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी बना रही है, जिसे कोविड शील्ड नाम दिया गया है। ये वैक्सीन सरफेस स्पाइक प्रोटीन बनाता है, जो नोवल कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ता है और भविष्य में भी अगर कोरोना वायरस हमला करता है, तो शरीर मज़बूती से इसका जवाब देगा। इसे स्टोर करना आसान है।
क्लिनिकल ट्रायल
इसका ट्रायल इग्लैंड और ब्राजील में किया जा रहा है, जिसमें इग्लैंड में 12390 वॉलेंटियर्स और ब्राजील में 10300 वॉलेंटियर्स पर ट्रायल किया गया। इग्लैंड में वॉलेंटियर्स को पहले आधा डोज दिया गया और फिर पूरा। वहीं ब्राजील में दो पूरे डोज दिए गए। इस ट्रायल में यह अच्छा रहा कि किसी को भी गंभीर समस्या नहीं हुई। इसका असर 70 से 90 फीसदी तक बताया जा रहा है।
इसके डोज भारत के पुणे में स्थित सीरम कंपनी बनाएगी।
मॉडेर्ना
अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना ने भी वैक्सीन तैयार करने का दावा किया है। इसमें वायरल प्रोटीन बनता है, जो शरीर को वायरस से इम्यून करेगी। इस वैक्सीन के भी दो डोज है और सबसे अच्छी बात यह है कि इसे फ्रिज के तापमान पर रखा जा सकता है।
क्लिनिकल ट्रायल
इसके ट्रायल में 30 हज़ार अमेरिकी वॉलेंटियर्स ने हिस्सा लिया था, जिन्हें 4 हफ्ते के अंतराल में दो डोज दिए गए। कंपनी ने दावा किया है कि ये वैक्सीन 94.5 फीसदी तक लोगों को सुरक्षा देगा। फिलहाल कंपनी कुछ ही हफ्तों में अमेरिका से अनुमति लेगी और फिर अगले साल दुनियाभर के देशों से इसके इस्तेमाल की अनुमति लेकर 100 करोड़ डोज तैयार करेगी।
फाइजर
फाइजर और बॉयोनटैक कंपनी ने मिलकर कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनाया है। यह भी प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित करने के सिद्धांत पर काम करता है लेकिन इसका सबसे मुश्किल भाग है इस वैक्सीन का भंडारण। इस शून्य से 75 डिग्री के नीचे रखना पड़ता है जबकि मॉडेर्ना को फ्रिज में महीने तक रखा जा सकता है।
क्लिनिकल ट्रायल
फाइजर के क्लिनिकल ट्रायल में 43 हजार से ज़्यादा लोगों पर किया गया और माना जा रहा है कि ये वैक्सीन 90 फीसदी सुरक्षा देती है। इसके भी दो डोज दिए जाएंगे और कंपनी अमेरिका से इसे लगाने की अनुमति लेने वाली है।
स्पूतनिक वी
रूस में बनने वाली इस वैक्सीन के परिणाम भी 92 फीसदी तक बताया जा रहा है और इसे फ्रिज के सामान्य तापमान में रखा जा सकता है।
वैक्सीन बनने के साथ-साथ ये देखना भी ज़रूरी है कि इसके डोज सभी देशों में कैसे पहुंचाए जाएंगे और किस तरह से ये वैक्सीन मिलेगी। लेकिन इतने कम समय में बेहतरीन आंकड़ों के साथ वैक्सीन बनाकर दुनिया में उम्मीद जगी है कि जल्द ही हम सभी कोरोना से मुक्ति पा सकेंगे।
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