आयुर्वेद और योग शास्त्र में भोजन के तीन प्रकार बताए गए हैं, जिसमें तामसिक, राजसिक और सात्विक भोजन शामिल है। यह तीनों ही एक-दूसरे से अलग होते हैं, लेकिन तीनों में से आपकी सेहत के लिए सबसे अच्छा है सात्विक आहार।
राजसिक आहार
ऐसा भोजन राजघरानों में बनता था, इसलिए इसे राजसिक आहार कहा जाता है। यह बहुत स्वादिष्ट होता है और शरीर को इससे ऊर्जा भी मिलती है, लेकिन इसके अधिक सेवन से उत्तेजना, गुस्सा, चिड़चिड़ापन और कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। इसमें लहसुन-प्याज़ और तेल-मसालों का अधिक इस्तेमाल किया जाता। मॉर्डन ज़माने के खाद्य पदार्थ जैसे चाय, कॉफी, सोडा, पान, तंबाकू आदि भी राजसिक आहार के अंतर्गत ही आते हैं। इसके अलावा मिठाइयां, पूरी-कचौरी, तरह-तरह के पकवान आदि राजसिक भोजन का हिस्सा है।
सात्विक आहार
कम तेल-मसालों के साथ बना शुद्ध शाकाहारी भोजन सात्विक आहार होता है। इसमें लहसुन, प्याज आदि का भी इस्तेमाल नहीं होता है। इसके अलावा बैंगन और कटहल जैसी उत्तेजना बढ़ाने वाली सब्ज़ियों का इस्तेमाल भी कम ही होता है। दूध, दही, घी, मक्खन, शहद, हरी पत्तेदार सब्जियां, मौसमी फल, नारियल, मिश्री, खीर, चावल आदि सात्विक आहार में शामिल हैं। ऐसा भोजन शरीर को स्वस्थ और मन को शांत रखता है। सात्विक आहार में ताज़ा बना भोजन आता है, साथ ही ऐसे भोजन को शांत मन से पूरी एकाग्रता से ग्रहण किया जाता है, जिससे शरीर को इसका पूरा पोषण मिलता है।
तामसिक भोजन
इसमें मांसाहारी भोजन भी शामिल है इसके अलावा बासी, किसी का झूठा, खराब खाना, बिना साफ-सफाई का ध्यान रखे बनाया हुआ भोजन, गंदे पानी से गया खाना आदि तामसिक आहार की श्रेणी में आता है। ऐसे भोजन भरपूर तेल-मसाले, लहसुन और प्याज़ का इस्तेमाल होता है। ऐसा भोजन करने से शरीर में सुस्ती, गुस्सा, नींद, आलस जैसी भावना आने लगती है। यह आपके शरीर को स्वस्थ नहीं रखता है।
सात्विक आहार है सबसे बेहतर
आयुर्वेद के जानकारो के मुताबिक, भोजन के इन तीनों प्रकारों में से सात्विक आहार सबसे अच्छा है। इससे न सिर्फ शरीर को पूरा पोषण मिलता है, बल्कि मन भी शांत रहता है और आप पूरी तरह से स्वस्थ रहते हैं। सात्विक आहार में भोजन के साथ ही खाने का तरीका और समय भी महत्वपूर्ण होता है। जितनी भूख है उससे ज़्यादा नहीं खाना है, खाते समय मोबाइल/टीवी बंद देखने की मनाही है ताकि पूरा ध्यान सिर्फ भोजन पर ही रहे, इसे माइंडफुलनेस कहा जाता है।
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