हमारे शरीर की सारी ऊर्जा 7 चक्रों में ही निहित होती है। हर चक्र को जागृत और संतुलित रखकर आप मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं। इसके लिए ज़रूरी है कि आपको सभी चक्र और उसे जागृत करने के ऊपायों की जानकारी हो।
दूसरा महत्वपूर्ण चक्र है स्वाधिष्ठान चक्र
मूलाधार चक्र के बाद यह दूसरा सबसे अहम चक्र है। यह चक्र नाभि के ठीक नीचे होता है। इसका रंग नारंगी होता है और आकार अर्ध-चन्द्राकार है। यह चक्र आपकी कलात्मक ऊर्जा के लिए ज़िम्मेदार होता है। यह चक्र निर्धारित करता है कि आप अपनी और दूसरों की भावनाओं से किस तरह जुड़ते हैं। स्वाधिष्ठान चक्र को धार्मिक चक्र या उदर चक्र भी कहते हैं। इस चक्र में कमल के साथ छह पंखुड़ियों को प्रतीकात्मक रूप में दर्शाया जाता है और हर पंखुड़ी छह नकारात्मक विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करती है। स्वाधिष्ठान चक्र का तत्व जल है और यह तरलता से संबंधित है।
स्वाधिष्ठान चक्र को संतुलित करने के लिए हर्ब्स
जब यह चक्र संतुलित होता है, तो आप खुद को भावनात्मक और कलात्मक रूप से अच्छी तरह व्यक्त कर पाते हैं। लेकिन जब यह चक्र असंतुलित हो जा है तो भावनात्मक अस्थिरता के साथ ही आपको बदलावों को अपनाने में मुश्किल होती है। अवरुद्ध और अतिसक्रिय स्वाधिष्ठान चक्र के कारण पाचन और प्रजनन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। दामियाना नामक जड़ी-बूटी के सेवन से इस चक्र को संतुलित किया जा सकता है। यह जड़ी-बूटी नर्वस सिस्टम को रिलैक्स करती है। आप यलंग-यलंग हर्ब को जला सकते हैं जो प्यार और पैशन के फ्लो को बढ़ाता है।
स्वाधिष्ठान चक्र को जागृत करने के उपाय
अरोमाथेरेपी
अरोमाथेरेपी में शक्तिशाली हीलिंग प्रॉपर्टी होती है, जो आपकी कलात्मक भावना को फिर से जगाती है। इस चक्र को जागृत करने के लिए इलायची, नीलगिरी, कैमोमाइल, पचौली, यलंग यलंग, गुलाब या क्लैरी सेज जैसी चीज़ों को जलाएं।
पॉज़िटिव बातें दोहराएं
बार-बार सकारात्मक बातें दोहराने से हमारे सोचने का तरीका बदलता है और हम नए ढंग से सोचना शुरू कर देते हैं। इसलिए इस तरह की बातें दोहराएं-
- मेरे अंदर जीवन की मिठास बहती है और मैं इसका आनंद लेता हूं।
- मेरे अंदर प्रेरणा और रचनात्मकता प्रवाहित होती है।
- मेरी भावनाएं स्वतंत्र रूप से प्रवाहित और संतुलित हैं।
- मैं खुशी और प्रचुरता को अपनाता हूं।
हर दिन मैं और अधिक खुशी और संतुष्टि का अनुभव करता हूं।
स्वाधिष्ठान चक्र को स्थिर करने वाले आसन
योगासन शरीर को अध्यात्म से जोड़ते हैं। किसी आसन के दौरान मन और शरीर को संतुलित करके सांसों पर ध्यान देने से तनाव दूर हो जाता है। उत्कट कोणासन, बद्ध कोणासन, आनंद बालासन और स्क्वैट स्वाधिष्ठान चक्र को संतुलित करते हैं।
जल से जुड़ना
स्वाधिष्ठान चक्र जल तत्व से जुड़ा है और इसका संबंध बदलाव के साथ हमारे प्रवाहित होने से है। आप पानी के साथ अधिक समय बिताकर इससे जुड़ सकते हैं जैसे तैराकी करना, समुद्र किनारे बैठना या नदी में सुकून भरा स्नान करना।
जब यह चक्र संतुलित रहता है तो आप भय, ईर्ष्या, आलस जैसी भावनाओं से दूर रहते हैं।
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