“अपने अंदर के बच्चे को हमेशा ज़िंदा रखिए,
हद से ज्यादा समझदारी ज़िंदगी को बेरंग कर देती है।”
किसी शायर की ये लाइनें बिल्कुल सच है, जब हम अपने अंदर के बच्चे को भूलकर ज़िंदगी को जिम्मेदारियों का बोझ समझ बहुत गंभीर बन जाते हैं, तो जीवन का सारा आनंद, उत्साह और रंग चला जाता है। इसलिए अपनी सभी ज़िम्मेदारियां निभाते हुए भी अपने अंदर के मासूम बच्चे को ज़िंदा रखें ताकि आप ज़िंदादिली के साथ जीवन का आनंद ले सकें।
खेल से जुड़े
बिजली का बिल, घर और कार की ईएमआई के बोझ तले दबकर यदि आप हंसना और ज़िंदगी को खुलकर जीना भूल गए हैं तो बच्चों की तरह एक बार फिर से किसी खेल के साथ जुड़ जाएं। खेल चाहे कोई भी हो गार्डन में बच्चों/पार्टनर के पीछे भागना, बैडमिंटन खेलना या बलून के साथ मस्ती करना, जिसमें भी आपको मज़ा आए और आप दिल खोलकर हंस सके वह गेम खेलिए। चाहें तो अपने व्यस्त समय से थोड़ा वक्त निकालकर परिवार के साथ हंसी-मज़ाक करें, जोक शेयर करें और बीते हसीन पलों को याद करके कई बार बेमतलब की बात पर हंसने में भी बुराई नहीं है। एक रिसर्च के अनुसार, जो व्यक्ति बचपन की चंचलता बनाए रखता है घर और ऑफिस सब जगह उसकी परफॉर्मेंस अच्छी होती है और दिल से जवां लोगों का जीवन भी लंबा होता है।
खुलकर ईमानदारी से भावनाएं ज़ाहिर करें
‘वाह ये टेडी बियर कितना सुंदर है’, ‘ये अंकल बिल्कुल अच्छे नहीं है।’ बच्चे इसी तरह बिना किसी संकोच के अपने मन की बात कह देते हैं, लेकिन बड़े होने पर हम ऐसा नहीं कर पातें, क्योंकि लोग क्या कहेंगे और सोचेंगे की भावना मन में घर कर जाती है और इसलिए हम खुलकर अपनी भावनाएं ज़ाहिर नहीं कर पाते। मगर मन को हल्का रखने और खुश रहने के लिए ज़रूरी है कि आप खुलकर ईमानदारी से अपनी बात रखें, भले ही किसी को आपकी बात अच्छी न लगे, लेकिन इससे आपको सुकून और खुशी मिलेगी। याद रखिए जो आपके अपने होंगे वह हमेशा आपका साथ देंगे।
बच्चों के साथ समय बिताएं
दिल को बच्चा बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका है बच्चों के साथ वक्त बिताना। बच्चों के साथ उन्हीं के गेम खेलिए और उनके साथ जमकर मस्ती करिए। आप अपने अनुभव उनके साथ साझा कर सकते हैं जिससे बच्चों को आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। बच्चों के साथ खेलने से आपका तनाव भी दूर होगा।
सीखने की लालसा
व्यस्क समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने की कोशिश करते हैं और बच्चे हर हालात में कुछ नया जानने और सीखने के लिए लालायित रहते हैं। अपने अंदर के बच्चे के साथ जुड़ने के लिए आप भी बच्चों वाला एटीट्यूड अपनाइए और दिमाग खुला रखकर हर समस्या को मौके की तरह देखिए और उससे कुछ सीखने की कोशिश करिए।
क्रिएटिव बन जाए
हर बार बचपना दिखना अच्छा नहीं लगता, मगर अपनी खुशी के लिए कभी-कभार बच्चा बन जाना अच्छा होता है। अपने अंदर के बच्चे को फिर से जिंदा करने के लिए आप क्रिएटिव एक्टिविटी जैसे पेंटिंग, कलरिंग, DIY, सिंगिंग आदि कर सकते हैं। अपने दिमाग को बड़ा और दिल को बच्चा बने रहने दीजिए और ज़िंदादिली के साथ ज़िंदगी का आनंद लीजिए।
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