जब हम सेहत की बात करते हैं, तो शुद्ध हवा पानी और आहार तक ही सोचते हैं, लेकिन सूरज की ऊर्जा भी सेहतमंद रहने में अहम भूमिका निभाती है। अगर आप रोज़ाना सूर्य मुद्रा करते हैं तो इससे शरीर में ऊर्जा जाग्रत होती है, जो बीमारियों को कम करने में मददगार है।
सूर्य मुद्रा का अर्थ
यह मुद्रा संस्कृत के दो शब्द “सूर्य” यानी सूरज और “मुद्रा” का अर्थ है अंगुलियों की विशेष अवस्था। इसलिए सूर्य मुद्रा मूल रूप से अंगुली की ऐसी अवस्था है, जो सूर्य के प्रकाश के माध्यम से शरीर को ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती है।
अंगुलियों के जोड़ से शरीर में असंतुलित पांचों तत्वों को संतुलित किया जाता है। सूर्य की ऊर्जा शरीर के अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए सूर्य मुद्रा को ‘अग्नि मुद्रा’ भी कहा जाता है। पृथ्वी मुद्रा के बढ़े हुए प्रभाव को कम करने में अग्नि तत्व मदद करता है, इसलिए सूर्य मुद्रा अग्नि तत्व के साथ पृथ्वी मुद्रा के संतुलन में भी मदद करती है।
मुद्रा करने की तरीका
- सूर्य मुद्रा करने के लिए पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं।
- इस मुद्रा को खड़े होकर भी कर सकते हैं। अगर आप 15 मिनट तक खड़े रह सकें।
- दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें और अनामिका अंगुली (रिंग फिंगर) को अंगूठे के नीचे हल्का से दबाएं
- बाकी बची हुई तीनों अंगुलियों को सीधी रखें।
- सुबह या शाम कभी भी यह मुद्रा कर सकते हैं।
- यह मुद्रा दिन में कम से कम 45 मिनट तक करें। अगर सूर्य मुद्रा को इतने समय तक करना मुश्किल है, तो दिन में 3 बार इस मुद्रा को कर सकते हैं।
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सूर्य मुद्रा के फायदे
- अपच, कब्ज, संबंधित पेट की बीमारियों को दूर करने में सहायक है।
- जो लोग बदलते वातावरण से जल्दी प्रभावित होते हैं और सर्दी-खांसी के शिकार हो जाते हैं, उनके शरीर में अग्नि तत्व को संतुलित करता है।
- अग्नि तत्व के संतुलित होते ही रोग प्रतिकार शक्ति बढ़ जाती है।
- सूर्य मुद्रा का अभ्यास पाचन तंत्र को सक्रिय और स्वस्थ कर मोटापा कम करने में भी मदद करता है।
- मधुमेह और कोलेस्ट्रॉल संबंधित बीमारियों में लाभ मिलता है।
किसे यह मुद्रा करनी चाहिए?
- डेस्क जॉब करने वाले या लंबे समय तक बैठने वाले लोगों यह मुद्रा लाभदायक है।
- जो बढ़े वज़न से परेशान रहते हैं
- जिन्हें अक्सर आलस या कमज़ोरी महसूस होती है।
- कमजोर दृष्टि वाले व्यक्ति भी शरीर के अग्नि तत्व को बढ़ाने के लिए सूर्य मुद्रा को अपना सकते हैं।
रखें इन बातों का ध्यान
- यह मुद्रा शरीर को गर्म करती है, इसलिए अगर बुखार हो, तो यह मुद्रा न करें।
- यह मुद्रा खुली जगह में करें।
- यह मुद्रा करने से पहले एक गिलास पानी पी लें क्योंकि यह एक शक्तिशाली मुद्रा है और लंबे समय तक अभ्यास करने पर निर्जलीकरण हो सकता है।
- कम वज़न वाले लोगों को ज़्यादा समय (45 मिनट) तक सूर्य मुद्रा नहीं करनी चाहिए।
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