भारतीय महिलाओं ने बदला साड़ी का अंदाज़

भारतीय महिलाओं ने बदला साड़ी का अंदाज़

साड़ी सिर्फ पारम्परिक ही नहीं, बल्कि महिलाओं ने इसे साहस की मिसाल बनाया
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आमतौर पर यहा माना जाता है कि साड़ी पहनकर आप बहुत से काम नहीं कर सकतीं, जैसे दौड़ना, कूदना, सहजता से डांस या दूसरी गतिविधियां करना। लेकिन कुछ भारतीय महिलाओं ने साड़ी के इस स्टीरियोटाइप टाइप को तोड़ा है। उन्होंने साबित कर दिया है कि 6 गज वाली साड़ी पहनकर भी उतनी ही सहजता से डांस और स्टंट किया जा सकता है जितना की वेस्टर्न कपड़ों में। इसमें डांसर से लेकर जिमनास्ट तक के नाम शामिल है।

साड़ी के साथ इन महिलाओं ने किया कमाल

दिव्या मैया

हाल ही में एनआरआई दिव्या मैया और उनके पार्टनर मधु ने हाल ही में साड़ी और धोती में स्कीइंग करके सबको हैरान कर दिया। स्कीइंग के दौरान दिव्या की साड़ी का पल्लू हवा में लहराता रहा। साड़ी में रोमांच का यह नज़ारा वाकई अद्भुत था।

इश्ना कुट्टी

इश्ना पेशे से डांसर हैं। कुछ महीनों पहले उनका एक वीडियो सोशल पर खूब वायरस हुआ और उनके इस वीडियो के बाद सोशल मीडिया पर #SareeFlow ट्रेंड करने लगा। दरअसल, इश्ना ने एक फिल्म के गाने ‘गेंदा फूल’ पर साड़ी और स्निकर्स पहनकर हुला हूप किया। उनका ट्रेडिशनल साड़ी में यह स्पोर्टी अंदाज़ लोगों को खूब भाया।

जिमनास्ट पारुल अरोड़ा

कुछ समय पहले गोल्ड मेडलिस्ट जिमनास्ट पारुल अरोड़ा ने साड़ी में जबर्दस्त ट्रिपल फ्लिप करके सबको हैरान कर दिया। जिस साड़ी को पहनकर कुछ महिलाएं मुश्किल से घर के काम कर पाती है, उसी साड़ी में पारुल का यह स्टेंट वाकई कमाल का है। इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर इसके बाद गांव की महिला का साड़ी में फ्लिप करता वीडियो भी खूब वायरल हुआ।

साड़ी का इतिहास

हमारे देश में सदियों से साड़ी पहनी जा रही है और इसका ज़िक्र वेदों में भी मिलता है। संस्कृत में इसे शटिका या सात्तिका के नाम से जाना जाता है। इसका उल्लेख सिंधु घाटी की सभ्यता में किया गया है। सैंकड़ों साल से साड़ी के बखान के चलते ही इसे भारतीय परंपरा और संस्कृति का अहम हिस्सा है। अब तो यह भारतीय परिधान विदेशों में भी लोकप्रिय हो गया है।

कैसे पहनी जाती है साड़ी?

6 मीटर की साड़ी को ब्लाउज़ और पेटीकोट के साथ पहना जाता है। साड़ी के एक किनारे को पेटीकोट में डालकर चारों तरफ से घुमाकर उसकी प्लेट्स बनाई जाती है और उसे नाभी के पास लाकर ऊपरी हिस्से को पेटीकोट के अंदर डालते हैं। फिर पल्लू बनाया जाता है। हमारे देश के हर राज्य में साड़ी पहनने का अंदाज एक दूसरे से जुदा है। 

सशक्तीकरण की है पहचान

साड़ी में महिलाओं का ये अनोखे करतब नए नहीं है। सालों पहले से ही साड़ी ‘शक्ति’ की पहचान रही है। इतिहास में कई महिला योद्धाओं ने साड़ी पहनकर ही दुश्मनों से लोहा लिया था। इसमें रानी लक्ष्मीबाई से लेकर कित्तूर की महारानी कित्तूर चेनम्मा और मराठा साम्राज्य की महारानी ताराबाई तक के नाम शामिल हैं।

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