कभी सोचा था कि घर बैठकर ऑफिस के साथियों से सारा दिन जुड़े रह सकते हैं और आसानी से काम कर सकते हैं?
अपनों को जब भी देखने का मन हो, तो बस मोबाइल या लैपटॉप पर अंगुलियां घुमाओ और वह आपके सामने
अगर हम यह कहे कि अब सैकड़ों किलोमीटर की दूरी कुछ सैंकेड्स की हो गई है तो गलत नहीं होगा। दरअसल वीडियो कॉलिंग ने हमारा जीवन इतना आसान कर दिया है कि घर बैठे ही ऑनलाइन मीटिंग्स कर लो और रिश्तेदार और दोस्तों के साथ ऑनलाइन पार्टी कर लो। इस सब का एहसास सबसे ज़्यादा कोरोना महामारी के दौरान हुआ है। इस मुश्किल समय में लोगों को वीडियो कॉल जैसे फीचर्स ने बहुत राहत दिलाई है।
क्या आप जानते हैं कि इस वीडियो कॉल की शुरुआत में किसका योगदान है?
शायद ही किसी को पता हो कि हमारी ज़िंदगी का अहम या यूं कहें कि आजकल ज़रूरी हिस्सा बन चुके वीडियो कॉल की शुरुआत में एक भारतीय इंजीनियर नसीर अहमद की अहम भूमिका रही है। उसकी खोज की बदौलत ही हम आसानी से न सिर्फ फोटो और वीडियो शेयर कर पाते हैं, बल्कि वीडियो कॉल पर एक-दूसरे से जुड़े भी रहते हैं।
कौन है नसीर अहमद?
1940 में बैंगलुरु में जन्मे नसीर अहमद इंडियन-अमेरिकन इलेक्ट्रिकल इंजीनियर और कंप्यूटर वैज्ञानिक है। बैंगलुरु की यूनिवर्सिटी कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग करने के बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए। वहां न्यू मेक्सिको यूनिवर्सटी से एमएस और पीएच.डी की डिग्री हासिल की। ग्रेजुएशन के बाद
उन्होंने 1966 से 1968 तक सेंट पॉल, मिनेसोटा के हनीवेल में प्रिंसिपल रिसर्च इंजीनियर के रूप में काम किया। इसके बाद कैनसस स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर बनें। फिर वह न्यू मैक्सिको यूनिवर्सिटी से जुड़ गए और 2001 में रिटायर्ड हुए। फिलहाल वह न्यू मैक्सिको यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग के प्रोफेसर हैं।
डीसीटी (DCT) की खोज की?
1970 के दशक में नसीर की अगुवाई में उनकी टीम ने एक ऐसी तकनीक ईजाद की, जिसकी बदौलत फोटो और वीडियो शेयर करना संभव हुआ और यह तकनीक वीडियो कॉल की शुरुआत में मददगार रही। इस तकनीक का नाम है डिस्क्रीट कोसाइन ट्रांसफॉर्म (Discrete Cosine Transform, DCT)। यह एक तरह की टेक्निकल तकनीक है, जिसकी मदद से फोटो शेयरिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग संभव होती है। नसीर और उनकी टीम के बनाए डीसीटी का इस्तेमाल कई कमर्शियल एप्लीकेशन्स जैसे कि डिजिटल टीवी, डिजिटल ऑडियो, डिजिटल रेडियो, स्पीच कोडिंग और दूसरे इमेज शेयरिंग प्लेटफॉर्म में किया जाता है।
आसान शब्दों में समझें तो इस तकनीक के बिना फोटो, वीडियो शेयर करना और किसी ऐप के जरिए वीडियो कॉलिंग करना संभव नहीं होता। महामारी के इस मुश्किल समय में वीडियो कॉल की सुविधा ने अपनों से जोड़कर न सिर्फ हमारा मानसिक तनाव घटाया, बल्कि वर्क फ्रॉम होम के इस नए कल्चर को भी सुविधाजनक बनाया है।
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