मां बनना एक बहुत ही खूबसूरत एहसास है। एक छोटे से बच्चे को इस बड़ी सी दुनिया में लाकर उसकी छोटी-छोटी ज़रूरतों को पूरा करना। खुद को भूल कर केवल उसकी ज़रूरतों के बारे में सोचते रहना एक मां की प्राथमिकता बन जाती है। क्योंकि उसे पता होता है कि उस नन्हीं सी जान की दुनिया सिर्फ वह ही है। बच्चे के जन्म के बाद पहला साल मां के लिये काफी थकान भरा रहता है। ये सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक भी होता है। ऐसे में ज़रूरी है कि बच्चे की देखभाल के साथ मां को खुद का भी ध्यान रखना चाहिये। जब मां स्वस्थ रहेगी, तो अंदर से खुशी महसूस करेगी और जब मां खुश होगी, तो उस स्नेह और प्यार को वह बच्चे को देगी।
बच्चे के जन्म के पहले साल में कैसे मां अपना भी ध्यान रख सकती है?
शरीर में आये बदलाव को अपनायें
परेशान होने की बजाय आप खुद पर गर्व महसूस करें कि आपने एक बच्चे को जन्म दिया है और अपने दूध से उसका पेट भर रही है। इसकी वजह से आपके शरीर में कई हार्मोनल बदलाव आ रहे हैं और यह शारीरिक बदलाव उसकी निशानी है। सोसायटी प्रेशर में आकर जल्दी वेट लूज़ करने के चक्कर में न पड़े। यह समय आपके और आपके बच्चे के बोंड के लिये सबसे ज़रूरी है।
खुद पर भरोसा रखें
यह भरोसा रखें कि सिर्फ आप ही हैं जो अपने बच्चे के लिए सबसे अच्छा कर सकती हैं। शुरु में अगर कोई गलती हो जायें, तो परेशान न हों। समय के साथ आपका बच्चा और एक मां के तौर पर आप बढ़ते रहेंगे।
खुद को हर तरह से पोषित करें
बच्चा होने के बाद मां के बनाये लड्डुओं से लेकर अच्छे विचारों को पढ़ने तक, खुद को हर तरह से पोषित करें। बच्चे की ज़रूरतों को पूरा करते-करते आप शुरु के एक साल में काफी थकान महसूस कर सकती हैं, लेकिन यह आम बात है और सबके साथ होती है। इसलिए सैर करें, हल्की कसरत करें और मेडिटेशन ज़रूर करें।
बच्चे के सोते ही अपनी नींद पूरी करें
कुछ बच्चे रात में केवल दूध पीने के लिए उठते हैं, लेकिन कई बच्चे रात भर जागते हैं और दिन में सोते हैं। ऐसे में बड़ों की सलाह को मानें और जैसे ही बच्चा सो जाये, अपनी नींद पूरी करें। हो सकता है आपको दिन में सोने की आदत न हो, लेकिन बच्चे के हिसाब से अगर आप अपना टाइम टेबल सेट करेंगे, तो अच्छा महसूस करेंगे।
मदद लेने से न हिचकिचायें
जब भी ज़रूरत हो, आस-पास के लोगों से मदद मांग ले। अगर आप वर्किंग मदर हैं तो अपने बच्चे के लिये अच्छी नैनी या डे केयर ढ़ूंढ लें। इस बात से गिल्टी महसूस न करें कि आप वर्किंग पैरेंट हैं। याद रखें कि आपके पास आपके बच्चे के पीडियाट्रीशियन का नंबर सेव रहना चाहिये और जो कोई भी सवाल हो, उसे पूछने में हिचकिचाना नहीं चाहिये। अपने बच्चे के साथ इस समय को दिल खोल कर जियें। यह समय आप दोनों के बीच एक ऐसा बंधन बना देगा, जो सारी ज़िंदगी आप दोनों को जोड़े रखेगा।
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