पर्यावरण बचाना हम सभी का दायित्व है क्योंकि पर्यावरण है तो ये दुनिया है, हम और हमारा भविष्य है। इस भविष्य की रक्षा करने के लिए ही केरल की 85 साल की देवकी अम्मा ने, ऐसा कदम उठाया की आने वाली पीढ़ी के लिए पेड़ों का खजाना गाढ़ दिया। उम्र के इस पड़ाव में आकर आज भी पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए लगातार काम कर रही है।
देवकी अम्मा का प्रकृति से लगाव
कोल्लक्कयिल देवकी अम्मा एक गृहिणी है और केरल के अलेप्पी जिले के मुतुकालम में रहनेवाली है। पेड़-पौधों में उनकी दिलचस्पी बचपन से है क्योंकि उनके दादा आयुर्वेद के वैद्य थे। जब से अपने दादा से जड़ी-बूटियों और पेड़-पौधों का ज्ञान और जीवन में उनका महत्व समझा, तब से देवकी अम्मा का प्रकृति से लगाव हो गया। उन्होंने अपमे मन इस बात को गाठ बांध ली कि पेड़-पौधे कितने ज़रूरी और फायदेमंद है और इसलिए इन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।
पति से मिली प्रेरणा
देवकी अम्मा के पति गोपालकृष्ण पिल्लै एक स्थानीय स्कूल शिक्षक थे, जो उन्हें पर्यावरण से संबंधी जानकारी दिया करते थे। इससे पहले देवकी अम्मा को ग्लोबल वॉर्मिंग और प्रदूषण के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। अक्सर उनके पति उन्हें पर्यावरण की रक्षा और इसमें पेड़ों की भूमिका के बारे में बताया करते थे। जब भी वह कही घर से बाहर जाते, तो लौटते समय अपने साथ अलग-अलग तरह के बीज ज़रूर लाते थे। जिसे देवकी अम्मा आंगन और घर के पीछे पांच एकड़ की खाली ज़मीन में बोया करती थीं। पति के गुजर जाने के बाद भी उन्होंने इस काम को जारी रखा।

40 साल की मेहनत
पति से मिली प्रेरणा से देवकी अम्मा ने 40 सालों तक अपने परिवार के साथ ऐसे कई बीज बोए। जिसने खाली ज़मीन को बगीचा और बगीचे से जंगल का रूप दिया। उनके इस जंगल में कुल मिलाकर 200 प्रकार के पेड़-पौधे हैं, जिनमें सागौन, आम, इमली, महोगनी, बांस, और पाईन भी शामिल हैं। सबसे बड़ी बात यह कि देवकी अम्मा रोज़ सुबह पूरे जंगल में दस मिनट पैदल घूमती है। अपने पेड़ों से बातें करती है, इससे उन्हें एहसास होता है कि उनके पेड़ सही सलामत है।
क्या खास है इस जंगल में?
इस जंगल में कई तरह के पशु-पक्षियों ने अपना घर बना लिया है। यहां कई देशी-विदेशी पक्षियां आते-जाते रहते हैं। इनके रहने और खाने पीने का इंतज़ाम देवकी अम्मा खुद करती है। यहां तक कि हरियाली और उपजाऊ शक्ति बनाये रखने के लिए सिर्फ प्राकृतिक खाद का ही इस्तेमाल करती है। साथ ही पेड़ों को पानी देने के लिए बारिश के पानी संरक्षित करती है।
देवकी अम्मा को मिला कई पुरस्कार
पर्यावरण के प्रति समर्पण देखते हुए साल 2019 में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया। इससे पहले देवकी अम्मा को केंद्रीय सरकार की तरफ़ से ‘इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार’, ‘वनमित्र पुरस्कार’ और ‘सोशल फ़ॉरेस्ट्री अवॉर्ड’ से नवाज़ा जा चुका है।
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